ज़िंदगी के कुछ लम्हों, पर धूल-सी जमी थी... ज़िंदगी के कुछ लम्हों, पर धूल-सी जमी थी...
तुम्हारे हाथ जब मेरे हाथ में होते हैं तब भूल जाना चाहती हूँ मैं सारे जोड घटाव,,,,,,,, तुम्हारे हाथ जब मेरे हाथ में होते हैं तब भूल जाना चाहती हूँ मैं सारे जोड घ...
भारतीय के लिए भारतीय के लिए
इसलिए इंतज़ार कर रही हूँ ताकि पहल आपसे हो जाए...! इसलिए इंतज़ार कर रही हूँ ताकि पहल आपसे हो जाए...!
उस मोड़ पर, एक पेड़ के नीचे मुझे रोमानी कर रही थी। उस मोड़ पर, एक पेड़ के नीचे मुझे रोमानी कर रही थी।
कभी कभी बस एक बार नज़र मिलने की देरी होती है,बाकी सब कुछ अपने आप हो जाता है! कभी कभी बस एक बार नज़र मिलने की देरी होती है,बाकी सब कुछ अपने आप हो जाता है!